खंभे से प्रकट हुए भगवान

खंभे से प्रकट हुए थे ये भगवान, यहां नाम से बस गया पूरा गांव


जबलपुर। भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं, पौराणिक मान्यता एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसारबैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था। इस बार भगवान नृसिंह की जयंती 20 मई शुक्रवार को धूमधाम से मनाई जाएगी। पुराणों के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया और उसके पिता हिरण्यकश्यप का वध करने खंभे से प्रकट हो गए थे।

बस गया पूरा शहर
भगवान नृसिंह की शक्ति और उनके भक्तों की भक्ति का ही चमत्कार है कि गड़रियाखेड़ा नाम का गांव आज नृसिंहपुर के नाम से विख्यात हो गया है। दरअसल यहां सदियों पहले भगवान नृसिंह का एक मंदिर बनवाया गया था। जिसमें प्रतिमा स्थापित होते ही वह चमत्कार दिखाने लगी। मंदिर में जिस ओर से भी भक्त भगवान की प्रतिमा को देखते हैं, वह उसी ओर देखती है। 

चमत्कारिक कोण में स्थापित
इसे ऐसे चमत्कारित कोण से स्थापित किया गया है कि मूर्ति को चाहे मंदिर के समीप से देखा जाए या सौ मीटर दूर सड़क से, खड़े होकर देखा जाए या बैठकर, देखने वाले को सभी ओर से प्रतिमा के ही दर्शन होंगे। मंदिर में एक सुरंग भी है। इसमें मंदिर के सामने एक चौड़ा परिसर है, उसके नीचे सुरंग स्थित है। ये सुरंग कहां जाती है, ये बात आज भी रहस्य बनी हुई है।

तीन स्तंभ पर स्थापित है प्रतिमा
नृसिंहपुर जिले के नरसिंह वार्ड में भगवान नृङ्क्षसह का बहुत पुराना मंदिर है। यहां स्थापित मूर्ति गर्भगृह में निर्मित तीन स्तंभों पर विराजित है, जो अपने आप में अनूठी मानी जाती है। मंदिर के बाहर सड़क पर खड़े होकर देखने पर भी भगवान की प्रतिमा भक्त की ओर ही देखती है।
वेदों का ध्यान में रखकर बनाया
नृसिंह अवतार के इस मंदिर का निर्माण वेदों में वर्णित तथ्यों को रखकर किया गया है। इस ऐतिहासिक मंदिर में कई और भी विशेषताएं हैं, जो वहां पहुंचने वालों को आसानी से दिखाई दे जाती हैं।

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